राइटर ने फीस ठुकराई, शाहरुख ने जबरदस्ती किया पेमेंट:फिल्म लेखक संजय छैल ने शेयर किया SRK के साथ काम करने का अनुभव

बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान आज अपना 60वां जन्मदिन मना रहे हैं। जिसके चलते दुनिया भर से फैंस और फिल्म इंडस्ट्री के सितारे उन्हें शुभकामनाएं दे रहे हैं। इस खास मौके पर फिल्म निर्देशक, लेखक और गीतकार संजय छैल ने दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए शाहरुख से जुड़ी कई यादें और अनुभव शेयर किए। संजय छैल ने कहा जब मैं शाहरुख खान की बात करता हूं तो मेरे जहन में बस एक ही शब्द आता है, पॉजिटिविटी और ऊर्जा का सैलाब। हिंदुस्तान के वर्तमान स्टार्स में आज अगर किसी ने सबसे ज्यादा पढ़ा है, तो वह निःसंदेह शाहरुख खान है। आप दुनिया का कोई भी जाना-माना नाटक या उपन्यास कहें, साहित्य की बात करें, उन्हें उसकी जानकारी होती है। आज ज्यादातर स्टार्स हिंदी लिपियों को पढ़ नहीं पाते या पढ़ते ही नहीं हैं, लेकिन शाहरुख संवादों के लिए हिंदी में लिखने का ही आग्रह करते हैं। शाहरुख ओवरएक्टिंग के मजाक को भी हंसी में लेते हैं शाहरुख खान के साथ में काम करने के अनुभव शेयर करते हुए संजय छैल ने बताया, मैंने शाहरुख के साथ लेखक के तौर पर ‘यस बॉस’, ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’, ‘चलते चलते’ (अनऑफिशियली) तीन-चार फिल्में कीं, कई स्टेज-शो, एड-फिल्में, केबीसी जैसे टीवी शो भी किए। ‘राजू बन गया जेंटलमैन’ और ‘कभी हां कभी ना’ में मैं लेखन-सहायक था। उन्होंने मुझे हमेशा हताशा में, गर्दिश के दिनों में, बहुत कॉन्फिडेंस दिया है। हालांकि, मैं उनके अभिनय की स्टाइल के बारे में अक्सर मजाक करता था कि – ‘तुम बहुत ज्यादा स्टाइलाइज्ड या ओवर एक्टिंग करते हो। उन्होंने आगे कहा, “तुम बहुत ‘हेम’ हो!’ इंग्लिश में ओवरएक्टिंग को ‘हेमिंग’ कहते हैं, जिसके लिए शब्द है: ‘हेम एक्टर’। एक बार मैंने शाहरुख से मजाक में कहा था, ‘तुम इतने ज्यादा ‘हेम’ हो कि तुम्हें राइटर के तौर पर भी हेमिंग्वे बहुत पसंद होगा! तुम्हारी फेवरेट सिंगर लता नहीं, हेमलता होंगी!’ लेकिन उनमें इतनी स्पोर्ट्समैन स्पिरिट है कि उन्होंने मेरे नाम के साथ फिल्मफेयर के इंटरव्यू में कहा कि, ‘देखिए मेरे दोस्त, मैं हेमिंग्वे को बहुत पढ़ता हूं, ऐसा मैं ‘हेम’ हूं – ऐसा मजाक करता है।” फिल्म ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ का किस्सा शेयर करते हुए संजय छैल ने बताया कि जब शाहरुख, जूही, अजीज मिर्जा ने पहली प्रोडक्शन कंपनी ‘ड्रीम्स अनलिमिटेड’ शुरू की, तब शाहरुख ने पिता तुल्य अजीज मिर्जा को निर्देशन सौंपा। तब हम शुरुआत में एक रोमांटिक कॉमेडी बनाने वाले थे, पर मैंने शाहरुख से कहा कि- ‘हमने इतने समय से सक्सेस देखी है, शाहरुख़, आप सुपरस्टार हैं, अब आपको कुछ अलग करना चाहिए।’ और फिर मैंने फिल्म ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ का पॉलिटिकल सटायर वाला विषय सुनाया। जिसमें राजनीति और पहली बार टीवी न्यूज-मीडिया की खींचतान पर व्यंग्य वाली बातें थीं। संजय छैल ने आगे कहा कि उस फिल्म से मीडिया वाले भड़क गए थे। लोग भी शाहरुख से रोमांटिक फिल्म की अपेक्षा रखते थे। पर मेरे कहने पर वह जोखिम लेने को तैयार हो गए। इतना ही नहीं, उन्होंने बहुत बड़े पैमाने पर फिल्म बनाई। फिल्म बनाने के लिए कैमरा खरीदा। जिम्मी-जिब नामक, उस समय जो नई, महंगी स्पेशल क्रेन आई थी, वह उन्होंने खरीद ली। बाद में, जब हमने फिल्म की रफ कॉपी देखी तो तब मैंने कहा कि, ‘हमें थोड़ा रीशूट करना चाहिए, बदलाव करने चाहिए ताकि यह और चले।’ तब शाहरुख ने कहा, ‘नहीं, हमारे दिल से जो निकला है, वही हमने बनाया है। इंडस्ट्री में निर्माता के तौर पर मेरी यह पहली फिल्म आ रही है और रिलीज की तारीख तय हो चुकी है, अब मैं पीछे नहीं हटूंगा।’
फिल्म हिट नहीं हुई, फिर भी शाहरुख ने दोस्त को पूरा भुगतान किया संजय छैल ने बताया कि तब उन्होंने एक और बहुत अच्छी बात कही- ‘सुन यार, अब घर में पार्टी शुरू हो गई है। छाछ हो तो छाछ पीयो, व्हिस्की हो तो व्हिस्की पीयो…’ वह फिल्म ठीक-ठाक चली, पर सुपरहिट नहीं हुई, तब मीडिया के लोगों को वह व्यंग्य पसंद नहीं आया। वह समय से आगे थी। तब रिलीज के बाद मैंने अपने बाकी रह गए पैसे लेने में महीनों तक आनाकानी की क्योंकि मुझमें गिल्ट था कि मेरे आग्रह के कारण यह फिल्म बनी और सुपरहिट नहीं हुई। संजय छैल ने आगे कहा कि फिर एक दिन अचानक, शाहरुख मेरे घर नीचे आए, फिर मुझे ऑफिस ले गए और बात-बात में बाकी रकम का चेक सामने से दिया और कहा, ‘तुम गिल्ट मत रखो। हमने दिल से फिल्म बनाई है, अच्छी है, समय आने पर लोगों को यह सब सही और अच्छा लगेगा, तो बाकी के पैसे रख लो, तुम्हारे हक के हैं! इस निर्दयी फिल्म लाइन में ऐसा कौन करता है? संजय छैल ने बताया कि एक बार मेरे किसी रिश्तेदार को पीठ की बीमारी हो गई थी, तो मैंने तुरंत शाहरुख को उस सर्जरी के बारे में पूछने के लिए एस.एम.एस. किया, क्योंकि उन्होंने भी रीढ़ की हड्डी की ऐसी सर्जरी करवाई थी। सामान्यतः 4 घंटे या अगले दिन जवाब देने वाले शाहरुख ने, तब तुरंत फोन करके समझाया कि बॉम्बे हॉस्पिटल में फलां डॉक्टर हैं, उनसे मिलना… और हो सके तो ऑपरेशन नहीं करवाना… आदि बातें दस मिनट तक उन्होंने पेशेंट को समझाकर कीं। मुझे याद है, गुजराती एक्टर अमृत पटेल, जब किडनी की बीमारी से पीड़ित थे, तब डायलिसिस के पैसे शाहरुख देते थे। नानावटी हॉस्पिटल में गरीबों के लिए शाहरुख का मेडिकल ट्रस्ट चलता है, मां के नाम पर वार्ड भी है। पर किसी विज्ञापन या पब्लिसिटी का ढिंढोरा पीटे बिना।

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