बहादुरगढ़ बास्केटबॉल खिलाड़ी की रस्म तेरहवीं:पिता बोले-बेटा ही नहीं रहा तो 5 लाख का क्या करेंगे; पीजीआई के डॉक्टरों पर गंभीर आरोप

बहादुरगढ़ के शहीद ब्रिगेडियर होशियार सिंह स्टेडियम में बास्केटबॉल पोल के नीचे दबने से हुई खिलाड़ी अमन की मौत के बाद परिवार में मातम का माहौल है। 30 नवंबर को अमन की बुआ के बेटे की शादी होनी है और इसी वजह से गुरुवार को अमन की रस्म तेरहवीं भी करनी पड़ी है। आंसुओं के बीच गमगीन माहौल में अमन की रस्म तेरहवीं की गई। रस्म तेरहवीं पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए आए सभी लोगों की आंखें नम थी। परिवार को ढाढ़स बंधाने के साथ सभी लोग सरकार और व्यवस्था को कोस रहे हैं। पिता बोले-बेटा ही नहीं रहा तो पांच लाख का क्या करेंगे वत्स कालोनी के रहने वाले खिलाड़ी अमन के पिता सुरेश ने मुख्यमंत्री नायब सैनी की 5 लाख रुपए की राहत राशि पर बोलते हुए कहा कि अब 5 लाख का क्या करेंगे, जब हमरा बेटा ही नहीं रहा। रोते हुए उन्होंने सरकार से घटना के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने सही समय पर उपचार नहीं देने के लिए पीजीआई के डॉक्टरों पर गंभीर आरोप भी लगाए और डॉक्टरों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों ने समय पर इलाज नहीं किया और उनके बेटे के शरीर को सब्जेक्ट की तरह इस्तेमाल किया। पीड़ित पिता ने कहा कि वो दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस को लिखित शिकायत भी देंगे। अब जानिए क्या बोले घटना को लेकर अमन के पिता अमन के पिता सुरेश ने बताया कि उन्हें रविवार को 3 बजकर 57 मिनट पर हादसे की सूचना मिली, जिसके बाद वे सीधे बहादुरगढ़ के ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। वहां प्राथमिक इलाज के बाद अमन को रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया गया। सुरेश के अनुसार, वे सवा 5 बजे के बीच पीजीआई रोहतक पहुंच गए थे, लेकिन अस्पताल के रिकॉर्ड में उनका आगमन 8 बजे दर्ज किया गया, ताकि अस्पताल अपनी लापरवाही छुपा सके। पीजीआई रोहतक पहुंचते ही उन्हें अल्ट्रासाउंड कराने के लिए भेज दिया गया। सुरेश ने बताया कि वे अल्ट्रासाउंड रूम के बाहर डॉक्टर का इंतजार करते रहे और डॉक्टर करीब आधा-पौना घंटे बाद वहां आए। तब तक अमन के पेट के अंदर खून का अत्यधिक रिसाव हो चुका था और उसका शरीर ठंडा हो गया था। सुरेश ने बताया कि उन्होंने गुस्से में डॉक्टरों और स्टाफ को काफी कुछ कहा, लेकिन डॉक्टरों और स्टाफ ने पुलिस बुला ली और उनके बेटे को उपचार देने की बजाय पुलिस उन्हें धमकाती रही। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में अपने विभाग के अधिकारियों को सूचित किया, जिसके बाद मौके पर एसपी भी आए। तब जाकर डॉक्टरों ने उनके बेटे को देखा, लेकिन तब तक सब खत्म हो चुका था। 12 बोतल खून और प्लाज्मा लिया, कुछ देर बाद थमा दिया पर्चा सुरेश ने बताया कि अपनी कमी छिपाने के लिए डॉक्टरों ने उन्हें दो दिन वेंटिलेटर पर रखा और उनसे 12 बोतल खून और प्लाज्मा भी लिया। कुछ देर बाद उसे पर्चा थमा दिया कि आपका बेटा नहीं रहा। उन्होंने सवाल किया कि जब उनका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा तो वो खून किसे चढ़ाया गया। बेटे को सब्जेक्ट के तौर पर ट्रेनी डाक्टरों को दिखाया पीड़ित पिता सुरेश का कहना है कि उनके बेटे को ट्रेनी डॉक्टरों के लिए एक सब्जेक्ट के तौर पर दिखाया और समझाया जा रहा था, न कि उसे उपचार दिया जा रहा था। उन्होंने बताया कि अब वहां के डॉक्टर उनके भतीजे को फोन कर मामले को शांत करने और सेटलमेंट करने की बात कह रहे हैं, लेकिन वे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई ही चाहते हैं। वे इस मामले में पुलिस को लिखित शिकायत देंगे। रस्म तेरहवीं पर नहीं पहुंचा सरकार का कोई नुमाइंदा उधर, अमन की मौत के बाद अंतिम संस्कार से लेकर रस्म तेरहवीं तक सरकार का कोई भी नुमाइंदा पीड़ित परिवार का हौसला बढ़ाने नहीं आया। रस्म तेरहवीं के दिन लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने अमन के पिता सुरेश से फोन पर बात की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया। पूर्व चेयरमैन रवि खत्री ने सांसद की बात अमन के पिता से करवाई। नगर परिषद की चेयरपर्सन सरोज राठी ने भी अमन को श्रद्धांजलि अर्पित की और पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद दुखद है और यह राजनीति का नहीं, मंथन का विषय है। उन्होंने कहा कि शहर के सभी पार्कों और खेल मैदानों के उपकरणों की जांच करवाई जाएगी, ताकि समय रहते हादसों से बचाव हो सके। स्टेडियम शिक्षा विभाग का, रखरखाव की जिम्मेदारी से झाड़ रहे पल्ला शहीद ब्रिगेडियर होशियार सिंह स्टेडियम शिक्षा विभाग के अंतर्गत आता है। यहां खेल विभाग की कुश्ती नर्सरी भी चल रही है। कहा जा रहा है कि करीब 13 साल पहले बास्केटबॉल के पोल नगर परिषद की तरफ से लगवाए गए थे, लेकिन इस बारे में अभी तक कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं मिला है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन जर्जर पोल्स को किसने लगवाया और किसकी जिम्मेदारी इनकी देखरेख की थी। इस पहेली के सुलझने के बाद ही हादसे की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय हो पाएगी।
उधर, इस मामले में एसडीएम नसीब कुमार के अलावा खेल विभाग ने भी अलग-अलग कमेटी गठित कर जांच शुरू कर दी है। जांच के बाद ही पता चलेगा कि आखिर इस मामले में लापरवाही किस विभाग की रही।

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